Saturday, November 22, 2014

बचपन

नाज़ुक डाली सी काया, कोमल कली सा मन
निर्मल निश्छल नीर सा, नटखट नादान बचपन   

एक पल अठखेलियाँ दूजे पल अनबन
वेदमन्त्र- अज़ान सा, पवित्र-पाक-पावन

कौतूहल से फैलती, छोटी-छोटी आँख
चाँद-सितारे छूने को सपने है बेताब

बाबा की अँगुली नहीं, है मुट्ठी में आकाश
ममता के आँचल तले, स्वर्ग सा अहसास

छल-कपट से कोसों दूर, बचपन की हर बात
परीलोक सी दुनिया में, इन्द्रलोक सी रात

बाबा का कुरता- चप्पल, पहन उन्हीं सा इठलाना 
बाहर की दुनिया माँ को, अपनी आँखों से दिखलाना

बुलबुलों में साबुन के, इन्द्रधनुष भर लाते थे
डाल चवन्नी गुल्लक में, धन्ना सेठ बन जाते थे

मन के कोरे कागज़ पर, रंग कई बिखराएगा
लम्हा-लम्हा बचपन का, पल-पल बीत जायेगा

बचपन की इमली-अमिया, बसाये रखना ख्वाबों में
जैसे सूखे फूल संजो के, रखे हों किताबों में

इंजी. आशा शर्मा
बीकानेर

Thursday, November 20, 2014

AT WORK

A dream doesn’t become reality through magic; it takes sweat, determination and hard work.

एक  सपना  जादू  से  हकीकत  नहीं  बन  सकता  ; इसमें  पसीना , दृढ  संकल्प   और  कड़ी  मेहनत  लगती  है .

Tuesday, November 18, 2014

NID CLASSES

Student those who are appearing in NATIONAL INSTITUTE OF DESIGN "NID" join ALOKART NID CLASSES